Sudhir Kumar
अबके सजन सावन में...... अबके सजन सावन में आग लगेगी बदन में ; घटा बरसेगी नज़र तरसेगी मगर मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में । अब के सजन सावन में..... दो दिलों के बीच खड़ी कितनी दीवारें हाए ! दो दिलों के बीच खड़ी कितनी दीवारें कैसे सुनूंगी मैं पिया प्रेम की पुकारें चोरी-चुपके से तुम लाख करों जतन लाख करों जतन सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में अबके सजन सावन में..... इतने बड़े घर में नहीं एक भी झरोखां किस तरह हम देंगे भला दुनिया को धोखा रात भर जगाएगी ये मस्त-मस्त पवन मस्त-मस्त पवन सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में अबके सजन सावन में....... तेरे मेरे प्यार का ये साल बुरा होगा अरे तेरे मेरे प्यार का ये साल बुरा होगा जब बहार आएगी तो हाल बुरा होगा कांटे लगाएगा ये फूलों भरा चमन फूलों भरा चमन सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में अबके सजन सावन में.... अबके सजन सावन में आग लगेगी बदन में घटा बरसेगी नज़र तरसेगी मगर मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में.....
Sudhir Kumar
अबके सजन सावन में...... अबके सजन सावन में आग लगेगी बदन में ; घटा बरसेगी नज़र तरसेगी मगर मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में । अब के सजन सावन में..... दो दिलों के बीच खड़ी कितनी दीवारें हाए ! दो दिलों के बीच खड़ी कितनी दीवारें कैसे सुनूंगी मैं पिया प्रेम की पुकारें चोरी-चुपके से तुम लाख करों जतन लाख करों जतन सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में अबके सजन सावन में..... इतने बड़े घर में नहीं एक भी झरोखां किस तरह हम देंगे भला दुनिया को धोखा रात भर जगाएगी ये मस्त-मस्त पवन मस्त-मस्त पवन सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में अबके सजन सावन में....... तेरे मेरे प्यार का ये साल बुरा होगा अरे तेरे मेरे प्यार का ये साल बुरा होगा जब बहार आएगी तो हाल बुरा होगा कांटे लगाएगा ये फूलों भरा चमन फूलों भरा चमन सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में अबके सजन सावन में.... अबके सजन सावन में आग लगेगी बदन में घटा बरसेगी नज़र तरसेगी मगर मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आंगन में.....
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