बदला न अपने आपको जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे
दुनिया न जीत पाओ तो हारो न ख़ुद को तुम
थोड़ी बहुत तो ज़हन में नाराज़गी रहे
अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी
हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे
गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ माँगते चलो
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे
हर वक़्त हर मकाम पे हँसना मुहाल है
रोने के वास्ते भी कोई बेकली रहे
Sudhir Kumar Gupta
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी,
शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी।
लबों से लब जो मिल गए,लबों से लब ही सिल गए
सवाल गुम, जवाब गुम, बड़ी हसींन रात थी।
Sudhir Kumar
तू ही तो जन्नत मेरी
तू ही मेरा जुनून
तू ही तो मन्नत मेरी
तू ही रूह का सुकून
तू ही अखियो की ठंडक
तू ही दिल की है दस्तक
और कुछ ना जानू में
बस इतना ही जानू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
सजधे सर जुख़्ता है
यारा में क्या करू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
ओं ओं हो ….
कैसी है यह दूरी
कैसी मजबूरी
मेने नज़रों से तुझे छु लिया
ओह हो हो कभी तेरी खुशबू
कभी तेरी बातें
बिन माँगे ये जहाँ पा लिया
तू ही दिल की है रौनक
तू ही जन्मो की दौलत
और कुछ ना जानू
बस इतना ही जानू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
सजधे सर जुकता है
यारा में क्या कारूओ
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या कारूओ
वस्दी वस्दी वस्दी, दिल दी दिल विच वस्दी
नसदी नसदी नसदी, दिल रो वे ते नसदी
रब ने… बना दी जोड़ी…..हाईईईईई
वस्दी वस्दी वस्दी, दिल दी दिल विच वस्दी
नसदी नसदी नसदी, दिल रो वे ते नसदी
छम छम आए
मुझे तरसाए
तेरा साया छेड़ के चूमता
ओह हो हो… तू जो मुस्काये
तू जो शरमाये
जैसे मेरा है खुदा झूमता
तू ही मेरी है बरकत
तू ही मेरी इबादत
और कुछ ना जानू,
बस इतना ही जानू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
सजधे सर जुख़्ता है
यारा में क्या करू
तुझ में रब दिखता है
यारा में क्या करू
वस्दी वस्दी वस्दी, दिल दी दिल विच वस्दी
नसदी नसदी नसदी, दिल रो वे ते नसदी
रब ने बना दी जोड़ी..