Sudhir Kumar
🌹🌿सखी री बांके बिहारी से , 🌹🌿हमारी लड़ गई आंखियां ! 🌹🌿सखी री,हां सखी री बांके बिहारी से, 🌹🌿हमारी लड़ गई आंखियां ! 🌹🌿बचाई,हां बचाई थी बहुत लेकिन , 🌹🌿निगोड़ी लड़ गई आंखियां ! 🌹🌿सखी री बांके बिहारी °°°° 🌹🌿ना जाने क्या किया जादू, 🌹🌿ये तकती रह गई आंखियां-२ ! 🌹🌿चमकती , हां चमकती हाय बरछी सी 🌹🌿कलेजे गढ़ गई आंखियां ! 🌹🌿सखी री बांके बिहारी °°°°°°° 🌹🌿चहुं दिश रस भरी चितवन , 🌹🌿मेरी आंखो में लाते हो-२ ! 🌹🌿कहो हां कहो ,कहो कैसे कहां जाऊं-२, 🌹🌿ये पीछे पड़ गई आंखियां ! 🌹🌿सखी री बांके बिहारी °°°°°°° 🌹🌿भले ये तन से निकले प्राण , 🌹🌿मगर ये छवि ना निकलेगी -२! 🌹🌿अंधेरे हां अंधेरे ,अंधेरे मन के मंदिर में , 🌹🌿मणि सी जड गई !!!!! 🌹🌿सखी री बांके बिहारी °°°°°°°
Sudhir Kumar
रात आँखों में ढली, पलकों पे जुगनू आये हम हवाओं की तरह जाके, उसे छू आये बस गई है मेरे अहसास में ये कैसी महक कोई खुशबू मैं लगाऊं तो तेरी खुशबू आये उसने छू कर मुझे पत्थर से इंसान किया मुद्दतों बाद मेरी आँख में आंसू आये मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ मांगी थी कोई आहट ना हो दर पर मेरे जब तू आये Sudhir Kumar Gupta
Sudhir Kumar