Sudhir Kumar
#sudhir घर साफ़ कर दिया खुला था द्वार भी नहीं... दिल था चुरा लिया था किया वार भी नहीं... बेचैन रहती हूँ रात दिन बिन देखे तुझे... करते मगर वो प्यार का इज़हार भी नहीं... चुपके से पास से वे गुज़रते हैं इस तरह... मेरे दीदार के हैं वो तलबगार भी नहीं... कब्ज़ा जमा लिया मेरे दिल पर बुरी तरह... पर वे कभी जताते ये अधिकार भी नहीं...
Sudhir Kumar
#sudhir कुछ इस तरह तु मेरी जिंदगी में आया था... कि मेरा होते हुए भी, बस एक साया था... हवा में उडने की धुन ने यह दिन दिखाया था... उडान मेरी थी, लेकिन सफर पराया था... मैं अपने वायदे पे कायम न रह सकी वरना... वह थोडी दूर ही जाकर तो लौट आया था... न अब वह घर है , न उस के लोग याद ... न जाने उसने कहाँ से मुझे चुराया था...
Sudhir Kumar