Sudhir Kumar
370 हटेगा यह तो भाजपा हमेशा से कहती थी, लेकिन जिस प्रकार से हटाया गया है उसकी उम्मीद नहीं थी। अगर सरकार को 370 हटाना ही था तो वह अमरनाथ यात्रा के खत्म होने के बाद हटा सकती थी। हजारों यात्रियों को घबराहट में डालकर आनन फानन में यह करना साफ संकेत है कि इमरान खान और ट्रंप की मिटींग में पिछले दरवाजे कुछ गहरी साजिश रची गयी थी। विदेश दौरे पर सेनाध्यक्ष को साथ कौन ले जाता है? इमरान खान ले गये थे। और वहाँ ट्रंप का झुठ कहना कि मोदी जी ने मुझे कश्मीर मामले में मध्यस्तता करने को कहा है साफ संकेत था कि कुछ नापाक इरादे ट्रंप और इमरान खान ने साथ मिलकर बनाये हैं। भारत हमेशा से कहता आया था कि कश्मीर मुद्दे पर जो भी बात होगी वह शिमला समझौते के तहत होगी, और सिर्फ भारत तथा पाकिस्तान के बीच होगी। किसी भी प्रकार का अंतराष्ट्रीय दखल मंजूर नहीं होगा। उसके बाद भी ट्रंप ने झुठ कहा। दरअसल जैसा कि मैंने कल ही बताया कि 2020 में अमेरिका में चुनाव है, ट्रंप के लिये यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है, और उसे जीतने के लिये हर मोर्चे पर विफल ट्रंप को किसी सफलता की तलाश है। इसलिये ट्रंप चाहता है कि वह अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस ले जा सके, जो कि वाकई एक बड़ी उपलब्धि होगी। लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना जाते ही तालिबान अफगानिस्तान को चबा जायेगा, जिससे अमेरिका की बहुत बड़ी किरकिरी होगी। इसलिये ट्रंप चाहता है कि पाकिस्तान की मदत से तालिबान और अफगान सरकार के बीच में ऐसा समझौता हो जाये कि जिससे तालिबान और वहाँ की सरकार मिलकर अपना देश शांति से चलायें, और अमेरिकी सैनिक वहाँ से लौट सकें। इस कार्य के लिये पाकिस्तान बहुत ज्यादा आवश्यक है। लेकिन बदले में पाकिस्तान को क्या मिलेगा? पाकिस्तान मुफ्त में मदत क्यूँ करें? तो बदले में ट्रंप ने पाकिस्तान को कश्मीर में साथ देने का भरोसा दिया होगा। IMF के लोन से दबे, FATF के ग्रे लिस्ट में शामिल और ब्लैक लिस्ट में जाने के डर में जी रहे बरबाद तथा भिखारी पाकिस्तान में इतना दम तो है नहीं कि वह भारत को उँगली करने की सोच भी सके। युद्ध की उसकी चाह तो है लेकिन औकात नहीं है। बल्कि वह तो यह चाहेगा कि कश्मीर में कोई आंतकि बारदात तक न हो, वरना भारत फिर सर्जिकल स्ट्राइक कर देगा। लेकिन इतने कमजोर पाकिस्तान को ताकत दी है अमेरिका ने, और उस अमेरिकी ताकत के बल पर पाकिस्तान जरूर कुछ हिमाकत करने की सोच बैठा था,जिससे अंतराष्ट्रीय पटल पर कश्मीर मुद्दा उठे तथा ट्रंप को मध्यस्तता का मौका मिले। 51 मुस्लिम देशों के संगठन OIC ने भी कल भारत के खिलाफ ट्वीट किया था। इन सब साजिशों की भनक भारत को लग गयी थी। इन्हीं सब कारणों से यह कार्य भारत ने इस तरह आनन फानन में किया। अब तक भले ही हम कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानते आये हों लेकिन 370 की वजह से वह हमेशा हमसे अलग ही था, कश्मीर के भारत से अलग हो कर एक नया राष्ट्र बनने या पाकिस्तान में शामिल होने की एक उम्मीद थी। लेकिन आज वह नापाक उम्मीद हमेशा के लिये खत्म कर दी गयी। ट्रंप और इमरान के इरादों, कश्मीरी नेताओं की धमकी सबको कुचल दिया गया। विशेष राज्य अब राज्य भी नहीं रहा। अब कश्मीर वाकई भारत का अभिन्न अंग है, इसे अलग करना हो तो सिर्फ और सिर्फ युद्ध ही एकमात्र रास्ता है पाकिस्तान के पास। बातचीत और मध्यस्तता की कोई गुंजाईश हमेशा के लिये खत्म कर दी गयी। अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है।🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮 Sudhir Kumar Gupta
Sudhir Kumar
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