Sudhir Kumar
राधे-कृष्ण की झुलन लीला की प्रतियोगिता 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ एक बार प्रिया प्रीतम के मन में झूलन की उमंग जागी ।बस सखियों ने सोचा प्रिया प्रीतम के साथ आज झूलन लीला की जाय।ललिता जी ने पूछा प्रिया प्रीतम से जैसा आपका मन हो वैसी ही व्यवस्था की जाएगी। श्यामसुंदर ने कहा : आज एक साथ दो झूले होंगे।एक कदम्ब की डाल पर और दूसरा उसके पास तमाल वृक्ष पर। यह दोनों झूले आस पास होंगे। एक पर प्रिया जी झूलेंगे और एक पर मैं झुलूंगा और दोनों में आज प्रतियोगिता होगी देखें कौन जीतता है। ललिता जी बोली कि जीत तो हमारी स्वामिनी की ही होगी।प्रियतम बोले थे। तुम अभी से कैसे भविष्यवाणी कर सकती हो ? ललिताजी बोली हमारी प्रिया जी दुबली-पतली हैं ।उनकी कमर की लचक बहुत गहरी है तो प्रिया जी ही जीतेगी।तब कान्हा जी ने कहा कि चलो देखते हैं कि जीत किसकी होती है। अब लीला के अनुसार दो वृक्षों पर अलग-अलग झूले डाल दिए गए। कदम्ब वृक्ष पर प्रिया जी झूल रही हैं और तमाल वृक्ष पर प्रियतम झूल रहे हैं। ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदु लेखा श्री प्रिया जी को झुला रही हैं। चंपकलता , रंगदेवी, तुंग विद्या और सुदेवी प्रियतम को झुला रही है। अब प्रिया जी ने झूला झूलना आरंभ कर दिया। झूला हवा से बातें करने लगा। ललिताजी वगैरह सखियाँ आज बहुत जोर से झूला रही है। प्रिया जी की कमर बहुत सुंदर लचक ले रही थी। प्रिया जी कभी सामने वृक्ष की ऊंची डाल को छू आती और जब पीछे जाती तो उनकी बेणी ऊंची डाल को छू लेती ।उनका नीलांबर वस्त्र उन्मुक्त रूप से लहरा रहा है।प्रिया जी के कंठ में सुमन हार, स्वर्ण हार, हीरों का हार, मुक्ता हार आदि प्रिया जी के साथ लहरा रहे हैं। जब प्रिया जी सामने की ओर आती तो यह हार प्रिया जी के लिए हृदय से लग जाते और जब पीछे आती यह हार कंठ से झूले लगते। हारो के चिपकने और झूलने की लीला की शोभा का अनुभव सुंदर है।प्रिया जी के कुंडल भी लहरा रहे थे उनकी शोभा अद्भुत सुंदर सी है। प्रिया जी के नूपुर झूले के साथ मधुर नृत्य कर रहे हैं। मानों सरगम बज रही हो। अद्भुत अनुपम शोभा है प्रिया जी के झूलने की। कान्हा जी बीना झूले हुए अपलक प्रिया जू को झूलते हुए देख रह थे। तुंगविद्या जी ने कहा:- प्रियतम तुम क्यों नहीं झूलते हम तुम्हें झुला देंगी, विश्वास करो तुम्हारी झूलन में विजय होगी।प्रियतम बोले- मैं अभी थोड़ी देर बाद झुलुंगा, प्रियतम धीमे धीमे झूल रहे हैं। चार पग आगे आते चार पग पीछे जाते बस इतना ही झूल रहे थे। तुंगविद्या जी ने कहा ऐसे तो आप हार जाओगे।प्रियतम ने कहा -यह मेरे झूलन का आनंद अद्भुत है।प्रीयतम ने कहा- झूलन का आनंद आज अत्यधिक है। कान्हा जी ने कहा कि सखी मैं भी झुल रहा हुं लेकिन किसी को भी मेरा झुलना नहीं दिख सकता। सखी मेरे मन के भीतर देखो- ऐसा कहकर कान्हा जी अपने हृदय के भाव चारों सखियों को बताते हैं। वैष्णवों कान्हा जी सखियों को अपने हृदय के भाव बता रहे हैं वह भाव बहुत ही समज कर मन में धारण करने लायक है। कान्हा जी चारों सखियों को कहते हैं सुनो सखी मेरे हृदय के भाव :- आज मेरा मन प्रिया जू के नीलाम्बर के साथ झूल रहा है। मैं प्रिया जू के बेणी के साथ झूल रहा हूँ। मैं प्रिया जू के हार के साथ झूल रहा हूँ और ह्रदय से लग जाता हूँ झूलते झूलते। मैं प्रिया जी की लचकती कमर के साथ झूल रहा हूँ। प्रिया जू करधनी को पकड़ कर जब एक डाल को छु कर मुस्कुराती हैं तो उनकी मुस्कान के साथ झूलता हूँ। मैं प्रिया जी के कुंडल के साथ झूल रहा हूँ। मैं प्रिया जू के नुपुर की मधुर ध्वनि के साथ झूल रहा हूँ। मैं प्रिया जू के मन के साथ ही झुल रहा हुं। कान्हा जी ने कहा प्रिया जू तो अकेली ही झुलने का आनंद ले रही है। लेकिन मैं तो यही से ही प्रिया जू के संग झुलने का आनंद प्राप्त कर रहा हूं। सखी अब ललिता जी से पूछो -जीत किसकी हुई मेरी या प्रिया जी की ? भले ही इस खेल में जीत प्रिया जी गई हो परंतु महा आनंद तो मुझे ही मिला है। अब ललिता जी ही निर्णय करे कि किसका झूलन श्रेष्ठ है। प्रिया जू का या मेरा। चम्पकलता जी बोली- आपका प्रेम प्रिया जी में अतुलनीय है।आपके प्रिया जी के प्रति प्रेम पर बलिहार। प्रियतम बोले- मै हमेशा प्रिया जू से हारता ही हूँ।प्रिया जू की जीत में मेरी ही जीत है।जब जीत कर प्रिया जी आनंद पाती है तब मैं महाआनंद पाता हूँ प्रिया जू के इस आनंद पर मैं बलिहार जाता हूँ। मेरे हृदय के भाव सिर्फ मेरी प्रिया जू ही जानती है। यह भाव कोई भी सखी नहीं जान सकती। प्रिया प्रियतम के मनोहर झूलन लीला की जय हो। आशा है कि आप सभी को इस लीला में अलौकिक आनंद की अनुभूति हुई होगी। जय श्री राधे-कृष्ण जी
Sudhir Kumar
मंगलवार के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा क्यों की जाती है? श्री हनुमान को संकट मोचन कहा गया है। वे पलभर में ही भक्तों के बड़े-बड़े संकट समाप्त कर देते हैं। हनुमान जी सीताराम के आर्शीवाद से अष्टचिरंजिव में शामिल है। अत: वे भगवान शिव की तरह ही तुरंत प्रसन्न होने वाले और भक्तों पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाले हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ। अत: मंगलवार के दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। जहां-जहां श्रीराम का नाम पूरी श्रद्धा से लिया जाता है हनुमान जी वहां किसी ना किसी रूप में अवश्य प्रकट होते हैं। ऐसी कई कथाएं हैं जहां हनुमान ने श्रीराम के भक्तों का पूर्ण कल्याण किया है। हनुमान के नाम मात्र से ही भूत पिशाच निकट नहीं आते। सारी समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाती है। हनुमान जी ही ऐसे भक्त और भगवान हैं जो हमारे सभी दुख और परेशानियों का समाधान कुछ ही क्षण में कर सकते हैं। बस आवश्यकता है तो सभी अधार्मिक कार्यों और कुसंगति को छोड़कर श्रीराम की श्रद्धा और भक्ति में मन लगाने की। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि पवनपुत्र की पूजा के लिए कोई विशेष मुहूर्त या दिन नहीं है। हम कभी भी सच्चे मन से हनुमान जी का स्मरण, पूजन-अर्चन कर सकते हैं। सभी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए हनुमान चालिसा का पाठ सबसे सरल और सुलभ उपाय है। प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करने वाले भक्तों को सभी सुख और धन की प्राप्ति होती है। ऐसे लोगों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती। प्राचीन ऋषि-मुनियों के अनुसार आरती और पूजा-अर्चना आदि के बाद भगवान की मूर्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है, इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए परिक्रमा की जाती है। सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा की अलग-अलग संख्या है। श्रीराम के परम भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान जी की तीन परिक्रमा करने का विधान है। भक्तों को इनकी तीन परिक्रमा ही करनी चाहिए। ऐसा करने पर हनुमान जी की कृपा जल्दी ही प्राप्त हो जाती है। प्राचीन काल से ही हर युग में श्री हनुमान जी की पूजा-भक्ति करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती रही हैं। शास्त्रों के अनुसार तीन युग बीत चुके हैं सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग। अभी कलयुग चल रहा है। ग्रंथों में ऐसा बताया गया है कि कलयुग में मात्र भगवान का नाम लेने से ही व्यक्ति के कई जन्मों के पाप स्वत: नष्ट हो जाते हैं। इसी वजह से सामान्य पूजा से भी देवी-देवता प्रसन्न हो जाते हैं। शीघ्र कृपा करने वाले देवी-देवताओं में श्री हनुमान जी प्रमुख देव माने गए हैं। जिस भक्त से बजरंगबली प्रसन्न हो जाते हैं उन्हें सभी सुख-संपत्ति और सुविधाएं प्रदान करते हैं। श्री हनुमान जी की कई प्रकार की प्रतिमाएं और फोटो उपलब्ध हैं। शास्त्रों के अनुसार सभी प्रतिमाओं और फोटो की पूजा का अलग-अलग महत्व बताया गया है। जिस प्रकार के फोटो की पूजा हम करते हैं वैसे ही फल हमें प्राप्त होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को धन या पैसों से जुड़ी समस्याओं से निजात पाना है, दुर्भाग्य को दूर करना है तो श्री हनुमान जी के ऐसे फोटो की पूजा करनी चाहिए जिसमें वे स्वयं श्रीराम, लक्ष्मण और सीता माता की आराधना कर रहे हैं। पवनपुत्र के भक्ति भाव वाली प्रतिमा या फोटो की पूजा करने से उनकी कृपा तो प्राप्त होती है साथ ही श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता की कृपा भी प्राप्त होती है। इन देवी-देवताओं की प्रसन्नता के बाद दुर्भाग्य भी सौभाग्य में परिवर्तित हो जाता है।....
Sudhir Kumar