Sudhir Kumar
जब आता है सावन और चलती है पुरवाई, ऐसे मेघ बरसते जैसे हरीयाली आयी ! शान्त पेङ पर बैठी कोयल करती है गान , नाचता हुआ मोर करता अपनी सुन्दरता पर अभीमान !! संध्या जब है आती तो प्रकती लगती सुहावनी, तो फुलो का रंग लगती मन भावनी ! गर्मी मे पेङ से पत्ते ऐसे टुटे, जैसे शरीर से आत्मा छुटे !! गर्मी मे सुखा हसता हुआ जाता, जो बरसात मे रोता हुआ दीन बिताता ! सुबह सुरज जब सीना ताने आता, तो अंधकार भय से सुदुर भाग जाता !! सुबह की पहली किरण के साथ जब वह आता, पक्षी करते गान जब वह मुस्कराता ! और जब जब दोपहर को गर्मी है होती, तो सारी दुनिया निर्जन बनके घर के अन्दर सोती !! और जब गोधुली मे सुर्य की होती बिदायी, तो ऐसा लगता मानो अन्धकार ने ली अंगङायी ! शाम को अंधकार खुंशिया खुब मनाये, और आसमा दुःखी होकर आंसु खुब बहाये !! शाम को दुनिया होती निर्जन और विरानी, इसी समय फुलो से भरती रात की रानी ! शाम को चंद्रमा बढता हुआ आता, और तारा खुशियों का गीत सुनाता !! और सुबह सुर्य का सारथी अरुण आता, और अंधकार घर के किसी कोने मे चुप जाता ! शाम को जो आसमा दुःख से नहाये, अब वही आसमा खुशियों से नहाये !!
Sudhir Kumar
सन 1730 ई, स्थान खेजड़ली गांव जोधपुर उस गाँव मे बिश्नोई परिवार बाहुल्य संख्या मे रहते थे। तत्कालीन जोधपुर नरेश अभय सिह ने खेजड़ली गांव मे कारखाना खोलने हेतू वहां सैकड़ो की संख्या मे खड़े हरे भरे पेड़ काटने को अपने दीवान को सैनिको सहित भेजा। खेजड़ली मे अमृता देवी बिश्नोई अपनी तीन पुत्रियो सहित रहती थी। जब उसने पेड़ काटने की आवाज सुनी तो वह पुत्रियो सहित दौड़ती हुई वहां पहुंची ओर राजा के आदमियो को रोका।बोली "इन्हे मत काटो इनको ने औलाद की तरह पाला है।ये हमे सबकुछ देते है"। ये देख दिवान आगबबूला हो गया ओर पेड़ो को काटने का आदेश दिया ।ये देख अमृता पेड़ से चिपक गई ओर कहा हम इन्हे नही काटने देगे। दिवान ने उस ओरत सहित पेड़ काटने का आदेश दिया । ये देख तीनो पुत्रिया भी पेड़ो से चिपक गई ।देखते देखते पूरा गांव पेड़ो से चिपक गया। दिवान ने 363 बिश्नोईयो को काट डाला।बात काबू से बाहर देख अभयसिह वहां आया ओर माफी मांगी व ताम्र फलक पर आदेश जारी किया कि बिश्नोईयो के गांवो मे हरे पेड़ नही काटे जायेगे। आज भी उन 363 शहीदो की याद मे खेजड़ली गांव मे मेला लगता है। पेड़ संरक्षण मे उत्कृष्ट कार्य करने पर अमृता देवी पुरूस्कार दिया जाता है। काश पेड़ो के प्रति सबको अपना कर्तव्य याद आऐ ओर हर कोई पर्यावरण के प्रति अपना दायित्व निभाऐ तो हमारे देश मे हरियाली आच्छादित हो जाए । आओ हम मिलकर हरित डाबड़ी बनाऐ।
Sudhir Kumar