जिंदगी मां के बिन एक श्मशान है,
अपने बच्चो की माँ तू ही पहचान है,
मेरी माँ तू महान है..
तूने पैदा किया वो थी मुस्किल घड़ी,
सब ने खुशियाँ मनाई लागी इसी झड़ी,
बेटा माँ है जीवन माँ का अभिमान है,
अपने बच्चो की माँ तू ही पहचान है,
मेरी माँ तू महान है..
भूल बचपन गया बेटा हो कर बड़ा,
तब उसी माँ को जी भर के रोना पड़ा,
बेटे माँ बाप से अब परेछान है,
अपने बच्चो की माँ तू ही पहचान है,
मेरी माँ तू महान है..
बीवी बच्चो का प्यार इतना गहरा हुया,
दिल से बाहर तेरी माँ का डेरा हुआ,
माँ के ममता की क्या अब यही शान है,
अपने बच्चो की माँ तू ही पहचान है,
मेरी माँ तू महान है..
दुनिया वालो मेरी बात तुम मान लो,
स्वर्ग चरणों में माँ के है पहचान लो,
विष्णु सागर कहे माँ ही भगवान् है,
अपने बच्चो की माँ तू ही पहचान है,
मेरी माँ तू महान है..
हे गजानन बतादो मुझको ज़रा,
मेरी पूजा में कोई कमी तो नही ,
रिधि सीधी के दाता बताओ जरा ,
मेरी सेवा में कोई कमी तो नही
सब से पहले करू मैं तेरी वंदना,
सिर झुका के मनाऊ गोरी नन्द न,
अपनी करुना दिखा के बताओ जरा
मेरी पूजा में कोई कमी तो नही ,
हो दयालु दया के सागर हो तुम,
सुख करता हो तुम दुःख हरता हो तुम,
कष्ट सारे मिटा के तुम बताओ जरा,
मेरी पूजा में कोई कमी तो नही ,
भोग लाडूवन का तुम को लगाऊ गणेश,
आओ मुस्क सवारी कर काटो कलेश ,
गोपी भोग लगा के बताओ जरा,
मेरी पूजा में कोई कमी तो नही,
लेके गौरा जी को साथ भोले भाले भोलेनाथ
काशी नगरी से आया है शिव शंकर
लेके गौरा जी को साथ भोले भाले भोलेनाथ
काशी नगरी से आया है शिव शंकर
नंदी पे सवार होके डमरू बजाते
चले आ रहे है भोले हरी गुण गाते
डाले नरमुंडो की माला ओढ़े तन पे मृग शाला
काशी नगरी.......
हाथ में त्रिशूल लिए भसम रमाये
झोली गले में डाले गोकुल में आये
पहुंचे नंदबाबा दे द्वार अलख जगाये बारम्बार
काशी नगरी......
कहा है यशोदा तेरा कृष्णा कन्हिया
दरश करादे रानी लू मैं बलैया
सुनकर नारायण अवतार आया हूँ में तेरे द्वार
काशी नगरी.....
देखके यशोदा बोली जाओ बाबा जाओ
द्वार हमारे तुम ना डमरू बजाओ
डर जावेगा मेरा लाल देख सर्प माल
काशी नगरी......
हस के वो जोगी बोला सुनो महारानी
दरश करादे मुझे होगी मेहरबानी
दरश करादे इक बार कैसा है सुकुमार
काशी नगरी......
सोया है कन्हिया मेरा मैं ना जगाउ
तेरी बातों में बाबा हरगिज़ ना आउ
मेरा नन्हा सा गोपाल तू कोई जादू देगा डाल
काशी नगरी......
इतने में आये मोहन मुरली बजाते
ब्रह्मा इन्द्राणी जिसका पार ना पाते
यहाँ गोकुल में ग्वाल घर घर नाच रहे गोपाल
काशी नगरी.....