Sudhir Kumar
"मित्रता दिवस" . क्या कृष्ण को सुदामा ने "happy friendship day" बोला था...? लेकिन वो मित्रता आज भी याद की जाती है। क्या राम को सुग्रीव ने "frienship band" बाँधा था....? लेकिन आज भी वो मित्रता स्मरण करने लायक है ... क्योकि उन्होंने मित्रता को दिखाने के लिए सिर्फ एक दिन को ही नहीं चुना था... वे सदैव मित्र धर्म निभाते थे .. कृष्ण को सुदामा ने आज ही के दिन "Happy Friendship Day" बोला था !!! या राम को सुग्रीव ने आज ही के दिन "Friendship Band" बाँधा था !!! प्रश्न स्वयं से कीजिये ? आप जानते हैं कि ये सब सत्य नहीं है .. जी हाँ, सत्य नहीं है, लेकिन आज भी वो मैत्री सम्बन्ध कृष्ण-सुदामा का राम-सुग्रीव जा याद किया जाता है, उसका उदाहरण दिया जाता है । वो मित्रता आज भी याद की जाती है...... क्योकि उन्होंने मित्रता को दिखाने के लिए सिर्फ एक दिन को ही नहीं चुना था... वे सदैव मित्र धर्म निभाते थे ... और हम भी उन्ही श्री राम और श्री कृष्ण के वंशज है, हम एक दिन की नहीं.. जीवन भर की मित्रता में विश्वास रखते है । हर भारतीय संस्कृति के पथिक से यह अपेक्षा न करे कि वह दिन विशेष पर ही माता-पिता की पूजा करेंगे, या मित्रता का जश्न मनाएंगे ... "मित्रता दिवस" या सनातन संस्कृति से एक खेल अवश्य ही कुछ मित्र कुतर्क करना चाहेंगे, उनसे अनुरोध है कि धैर्य बनाये रखे और कोई उदाहरण बताये जब भारतीय संस्कृति में इन दिवसों का विवरण किसी विशेष दिन के रूप में मिलता है, और आप इस सत्य को फिर भी नहीं अपना सकते तो यह निश्चित है आप पाश्चात्य व्यापार नीति में बुरी तरह फंस चुके हैं और आपका झूठा अहंकार आपको आपके सत्य से दूर कर रहा है। जय श्री कृष्ण आपका दिन मंगलमय हो।
Sudhir Kumar
🌹शिव के गले में मुण्ड माला का रहस्य🌹 | 👉भगवान शिव और सती का अद्भुत प्रेम शास्त्रों में वर्णित है। इसका प्रमाण है सती के यज्ञ कुण्ड में कूदकर आत्मदाह करना और सती के शव को उठाए क्रोधित शिव का तांडव करना। हालांकि यह भी शिव की लीला थी क्योंकि इस बहाने शिव 51 शक्ति पीठों की स्थापना करना चाहते थे। शिव ने सती को पहले ही बता दिया था कि उन्हें यह शरीर त्याग करना है। इसी समय उन्होंने सती को अपने गले में मौजूद मुंडों की माला का रहस्य भी बताया था। | 👉मुण्ड माला का रहस्य 〰️〰️〰️〰️⚱️〰️〰️〰️〰️〰️ || 👉एक बार नारद जी के उकसाने पर सती भगवान शिव से जिद करने लगी कि आपके गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। जब काफी समझाने पर भी सती न मानी तो भगवान शिव ने राज खोल ही दिया। शिव ने पार्वती से कहा कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं वह सभी आपके हैं। सती इस बात का सुनकर हैरान रह गयी। 👉सती ने भगवान शिव से पूछा, यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं। इस पर शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है। इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला में अभी एक मुंड की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते। 👉शिव हंसते हुए बोले श्मैं अमर कथा जानता हूं इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता।श् इस पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की। शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें नींद आ गयी और वह कथा सुन नहीं पायी। इसलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग करना पड़ा। शिव ने सती के मुंड को भी माला में गूंथ लिया। इस प्रकार 108 मुंड की माला तैयार हो गयी। सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ। इस जन्म में पार्वती को अमरत्व प्राप्त होगा और फिर उन्हें शरीर त्याग नहीं करना ~~~।हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ वन्दे ।।
Sudhir Kumar