Sudhir Kumar
*परीक्षा संसार की।* *प्रतीक्षा परमात्मा की।* *और समीक्षा अपनी करनी चाहिए।* *लेकिन हम* *परीक्षा परमात्मा की।* *प्रतीक्षा सुख की।* *और समीक्षा दूसरों की करते हैं।* *सुप्रभात*🙏🌹
Sudhir Kumar
📚📚 *तुझे देखे बिना कभी जी न सके* *तुझे सोचे बिना कभी लिख न सके* *मैं तो तेरे लिए चुनके लाया गुलाब* *सामने आई तुम, तुझे दे न सके,,,,* *मेरी नजरों में बस एक तमन्ना रही* *अपना दर्दे-जिगर हम दिखा न सके* *जांनिसारों में तुम हमें न रखो* *आज तक अपनी जां हम पा न सके.....!!* ♨♨
Sudhir Kumar