Sudhir Kumar

आंखी मा गोरी आंजे काजर, बाल हावय रे करिया बादर ।। हांस के तै गोठियाले रानी , मया पिरित के ढाई आखर ।। चेहरा तोर बेमिसाल हावय, रेंगना घलो कमाल हावय ।। चढ़ती जवानी तोर वो रानी, सिरतोन मा बवाल हावय ।। होंठ गुलाबी अउ नैन सराबी, तै रूप के हावस वो रानी ।। देख के तोला तड़पे ये दिल , लागे हावय तोर बर बानी ।। **Sudhir Kumar Gupta**

Sudhir Kumar

कौन है हिमा दास? अगर यह लड़की प्रियंका चोपडा या कैटरीना कैफ होती तो सोशल मीडिया पर छा जाती, लेकिन जनाब यह तो किसान की बेटी है जिसने भारत का नाम रोशन किया है। हैरानी की बात है अधिकतर लोगो को इसकी जानकारी तक नहीं है । धन्य है वह असम का गरीब धान उगाने वाला किसान परिवार जिसने एक दृढ़ संकल्पी खिलाड़ी भारत को दिया है । जिसके पास सप्लीमेंट और प्रोटीन कभी नहीं थे जो सिर्फ दाल और चावल खाकर उस मुकाम पर पहुंची है , वह कभी स्टेडियम के पक्के ट्रैक पर नहीं दौड़ पाई, क्योंकि उसके लिए तो खेतों के कच्चे रास्ते ही उसके सपने और देश के सपने पूरे करने वाले थे। जिसने जब देश के लिए विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी जब राष्ट्रीय गान चल रहा था । यह आंसू गोल्ड मेडल के नही थे यह आंसू थे भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत के राष्ट्रगान के सम्मान मे ओर अब लगातार भारत का नाम रोशन करती जा रही है। सभी तरह की प्रतियोगिता मे भारत को पदक अवश्य दिलाती है अभी हाल ही मे असम बाढ पीड़ितों के लिए अपने पदक की राशि दान कर दी ।👍 इसे कहते है अपने देश अपने राज्य के प्रति वफादारी...नमन !..

Sudhir Kumar

,,जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। लोगों ने दूसरी शादी की सलाह दी परन्तु उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि पुत्र के रूप में पत्नी की दी हुई भेंट मेरे पास हैं, इसी के साथ पूरी जिन्दगी अच्छे से कट जाएगी। पुत्र जब वयस्क हुआ तो पूरा कारोबार पुत्र के हवाले कर दिया। स्वयं कभी अपने तो कभी दोस्तों के आॅफिस में बैठकर समय व्यतीत करने लगे। पुत्र की शादी के बाद वह ओर अधिक निश्चित हो गये। पूरा घर बहू को सुपुर्द कर दिया। पुत्र की शादी के लगभग एक वर्ष बाद दोहपर में खाना खा रहे थे, पुत्र भी लंच करने ऑफिस से आ गया था और हाथ–मुँह धोकर खाना खाने की तैयारी कर रहा था। उसने सुना कि पिता जी ने बहू से खाने के साथ दही माँगा और बहू ने जवाब दिया कि आज घर में दही नहीं है। खाना खाकर पिताजी ऑफिस चले गये। थोडी देर बाद पुत्र अपनी पत्नी के साथ खाना खाने बैठा। खाने में प्याला भरा हुआ दही भी था। पुत्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और खाना खाकर स्वयं भी ऑफिस चला गया। कुछ दिन बाद पुत्र ने अपने पिताजी से कहा- ‘‘पापा आज आपको कोर्ट चलना है, आज आपका विवाह होने जा रहा है।’’ पिता ने आश्चर्य से पुत्र की तरफ देखा और कहा-‘‘बेटा मुझे पत्नी की आवश्यकता नही है और मैं तुझे इतना स्नेह देता हूँ कि शायद तुझे भी माँ की जरूरत नहीं है, फिर दूसरा विवाह क्यों?’’ पुत्र ने कहा ‘‘ पिता जी, न तो मै अपने लिए माँ ला रहा हूँ न आपके लिए पत्नी, *मैं तो केवल आपके लिये दही का इन्तजाम कर रहा हूँ।* कल से मै किराए के मकान मे आपकी बहू के साथ रहूँगा तथा आपके ऑफिस मे एक कर्मचारी की तरह वेतन लूँगा ताकि *आपकी बहू को दही की कीमत का पता चले।’’* *-माँ-बाप हमारे लिये**ATM कार्ड बन सकते है,* *तो ,हम उनके लिए**Aadhar Card तो बन ही सकते है

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