Sudhir Kumar
क्या आप जानते हैं? काल भैरव मंदिर (वाराणसी) से जुड़े रोचक तथ्य... काल भैरव मन्दिर वाराणसी कैन्ट से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर शहर के उत्तरी भाग में स्थित है। यह मन्दिर काशीखण्ड में उल्लिखित पुरातन मन्दिरों में से एक है। इस मन्दिर की पौराणिक मान्यता यह है कि बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव जी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। काल भैरव जी को काशीवासियो के दंड देने का अधिकार है। कहते हैं एक बार कुछ बातों को लेकर ब्रह्माजी, भगवान शिव को अपशब्द कहने लगे जिसके बाद भगवान शिव को गुस्सा आ गया। भगवान शिव के गुस्से से ही काल भैरव जी प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी का सिर काट दिया था जिसके बाद ब्रह्माजी चतुर्मुख हो गये थे। कहा जाता है कि ये बनारस का सबसे पुराना मंदिर है और इस मंदिर में दर्शन करने से 33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शन का फल मिलता है। यहां रहने आने वाले लोगों को सबसे पहले काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य होता है। इनके दर्शन के बिना बनारस दर्शन अधूरा होता है। इस मंदिर में माला-फूल काला धागा और सरसों का तेल चढ़ाया जाता है। यहां दर्शन मात्र से साढ़े साती, अढ़ैया, भूत-प्रेत आदि अन्य दंडों से मुक्ति मिल जाती है। ओर यहां चढ़ाए जाने वाले काले धागे से कोई दोष नहीं लगता।
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ॐ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥ भावार्थ : जो शिव नागराज वासुकि का हार पहिने हुए हैं, तीन नेत्रों वाले हैं, तथा भस्म की राख को सारे शरीर में लगाये हुए हैं, इस प्रकार महान् ऐश्वर्य सम्पन्न वे शिव नित्य–अविनाशी तथा शुभ हैं। दिशायें जिनके लिए वस्त्रों का कार्य करती हैं, अर्थात् वस्त्र आदि उपाधि से भी जो रहित हैं; ऐसे निरवच्छिन्न उस नकार स्वरूप शिव को मैं नमस्कार करता हूँ। #संस्कृतकाउदय #Sanskritkauday Om Namah Sivay
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