Sudhir Kumar
जब से आये हो जिंदगी में मेरे मैने खुद को मुकम्मल पाया दिल कहे, हर एहसास हर जज्बात तेरे नाम कर दूँ ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ पूछे है पगली, याद करते हो मुझे कैसे कहू, हर शब्-ओ-सहर तेरी याद में डूबे है हर वक़्त जो दिल धडके है तेरी खातिर, उसकी हर शाम तेरे नाम कर दूँ ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ हर सुबह का आगाज़ तुम्ही से हर शाम तेरे नाम से ढले हर जाम से पहले कहू ‘बिस्मिल्लाह’, हर वो एहसास हर वो जज्बात तेरे नाम कर दूँ ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ वो रोये है तो बरसे है बादल इधर भी हँसे है तो खिले है फूल इधर भी तेरी हर मुस्कराहट पर,ये मेरी जिन्दगी तेरे नाम कर दूँ ले, आज फिर एक कविता तेरे नाम कर दूँ
Sudhir Kumar
प्यार से थोड़ा कम ही सही, पर प्यार तो है ना। दोस्त से थोड़ा ज्यादा मानता हूं तुम्हें, कुछ बात तो है ना। तुझे, कुछ पता नहीं, पर तेरी हर बात मुझे याद तो है ना। मैं सुखा हुआ जमीन की तरह हूं, मानता हूं तु उसको भींगोने वाली बरसात तो है ना, तु उसको भींगोने वाली बरसात तो है ना।। अब तो ये दिल किसी का होता भी तो नहीं है, किसी और के ख्वाब में सोता भी तो नहीं है, तेरी ही बातों में उलझा-सा रहता है, मेरी तो अब सुनता भी नहीं है, रख लो ना, तुम इसे अपने पास मेरे पास तो धड़कता भी नहीं है क्या करूं मैं इसका, तुम्हीं बताओ ना इस उल्लू को तुम्हीं समझाओं ना, तुम्हारे सिवा किसी और की बातों को समझता भी तो नहीं है। माना की नादान है, पर तेरे लिए ही तो परेशान हैं, तेरा ही तो आशिक है ये, पर तू इसकी जान तो है ना, तू इसकी जान तो है ना। माना देखा नहीं मैं ने कभी तुझे उतनी सिद्दत से, पर तेरी मुस्कान कितनी खूबसूरत है, मुझे पता तो है ना। माना मैं कभी डूबा नहीं तुम्हारी आंखों की गहराई में पर उसकी क़ातिलाना अदाओ के बारे में एहसास तो है ना। अच्छा एक बात बताओ क्यूं तड़पाती हो इतना मुझे, अच्छा लगता है? बताओ ना, क्या तुम्हें अच्छा लगता है? तुम्हारे लिए ही तो लिखता रहता हूं, तुमने पढ़ा तो है ना। जिस तरह मैं सोचता हूं तुम्हें, तुमने कभी सोचा तो है ना, सोचा तो है ना।। तेरा हमसफर बनना है मुझे, मेरी हमनवां बनोगी तुम ना। एक दिल ही तो है जिसका आधा हूं मैं बाकी आधा बनोगी तुम ना। अब बता भी दो तुम्हें प्यार तो है ना? तेरा ही तो हूं मैं ये बात तुम्हें याद तो है ना, याद तो है ना।।
Sudhir Kumar