शतरुद्री में रुद्र को सौ से अधिक रुपों में नमस्कार किया गया है। ब्रज में गोपेश्वर के रुप में रहने वाले रुद्र के लिए नमस्कार है ऐसा भी कहा गया है।
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, रूद्रों में शंकर मैं ही हूं।
देवीपुराण में देवी कहतीं हैं कि ब्रह्म मैं ही हूं। महाभागवत में देवी कहती हैं कि मैं ही राम बनके अवतार लेती हूं।
रुप और नाम अनेक हैं परमात्मा के परंतु वह एक ही है।
Har har Mahadev