Sudhir Kumar

*हनुमान जी के पंचमुखी रूप के पीछे क्या राज क्या है ? जब राम और रावण की सेना के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था और रावण अपने पराजय के समीप था तब इस समस्या से उबरने के लिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावन को याद किया जो मां भवानी का परम भक्त होने के साथ साथ तंत्र मंत्र का का बड़ा ज्ञाता था। उसने अपने माया के दम पर भगवान राम की सारी सेना को निद्रा में डाल दिया तथा राम एव लक्ष्मण का अपरहण कर दोनों को पाताल लोक ले गया ! कुछ घंटे बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिषण ने यह पहचान लिया कि यह कार्य अहिरावन का है और उसने हनुमानजी को श्री राम और लक्ष्मण सहायता करने के लिए पाताल लोक जाने को कहा। पाताल लोक के द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध में उसे हराने के बाद बंधक श्री राम और लक्ष्मण से मिले। कैसे हनुमान जी ने राम-लक्ष्मण को मुक्त किया... और क्यों धरा पंचमुखी रूप : वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर राम,लक्ष्मण को उस से मुक्त किया। पंचमुखी हनुमान की अन्य कथा : इसी प्रसंग में हमें एक दूसरी कथा भी मिलती है कि जब मरियल नाम का दानव भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुराता है और यह बात जब हनुमान को पता लगती है तो वह संकल्प लेते हैं कि वे चक्र पुनः प्राप्त कर भगवान विष्णु को सौप देंगे। मरियल दानव इच्छानुसार रूप बदलने में माहिर था अत: विष्णु भगवान ने हनुमानजी को आशीर्वाद दिया, साथ ही इच्छानुसार वायुगमन की शक्ति के साथ गरुड़-मुख, भय उत्पन्न करने वाला नरसिंह-मुख, हयग्रीव मुख ज्ञान प्राप्त करने के लिए तथा वराह मुख सुख व समृद्धि के लिए था। पार्वती जी ने उन्हें कमल पुष्प एवं यम-धर्मराज ने उन्हें पाश नामक अस्त्र प्रदान किया। आशीर्वाद एवं इन सबकी शक्तियों के साथ हनुमान जी मरियल पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे। तभी से उनके इस पंचमुखी स्वरूप को भी मान्यता प्राप्त हुई। ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, धर्मशील व्यक्ति ,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जिमि सरिता सागर महँ जाहीं l जद्यपि ताहि कामना नाहीं ll तिमि सुख सम्पति बिनहिं बुलाये l धर्मशील पहँ जाइ सुहाये ll जैसे सरिता (नदी ) उबड-खाबड़, पथरीले स्थानों को पार करते हुए पूर्ण रूपेण निष्काम भाव से समुद्र में जा मिलती है, उसी प्रकार धर्म-रथ पर आसीन मनुष्य के पास उसके न चाहते हुए भी समस्त सुख-सम्पत्ति, रिद्धियाँ-सिद्धियाँ स्वत: आ जाती हैं, सत्य तो यह है कि वे उसकी दासिता ग्रहण करने के लिए लालायित रहती है l ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, " जीवन का सत्य आत्मिक कल्याण है ना की भौतिक सुख !" ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जिस प्रकार मैले दर्पण में सूर्य देव का प्रकाश नहीं पड़ता है उसी प्रकार मलिन अंतःकरण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता है अर्थात मलिन अंतःकरण में शैतान अथवा असुरों का राज होता है ! अतः ऐसा मनुष्य ईश्वर द्वारा प्रदत्त " दिव्यदृष्टि " या दूरदृष्टि का अधिकारी नहीं बन सकता एवं अनेको दिव्य सिद्धियों एवं निधियों को प्राप्त नहीं कर पाता या खो देता है ! ,,,,सच्चे संतो की वाणी से अमृत बरसता है , आवश्यकता है ,,,उसे आचरण में उतारने की .... "एक माटी का दिया सारी रात अंधियारे से लड़ता है, तू तो प्रभु का दिया है फिर किस बात से डरता है..." हे मानव तू उठ और सागर (प्रभु ) में विलीन होने के लिए पुरुषार्थ कर ,,,,,,,,, शरीर परमात्मा का दिया हुआ उपहार है ! चाहो तो इससे " विभूतिया " (अच्छाइयां / पुण्य इत्यादि ) अर्जित करलो चाहे घोरतम " दुर्गति " ( बुराइया / पाप ) इत्यादि ! परोपकारी बनो एवं प्रभु का सानिध्य प्राप्त करो ! प्रभु हर जीव में चेतना रूप में विद्यमान है अतः प्राणियों से प्रेम करो ! शाकाहार अपनाओ , करुणा को चुनो ! जय गौमाता की 🙏👏🌹🌲🌿🌹*

1  
Sudhir Kumar

🐎 *बडे से बडां सेक्स टोनिक भी इनके आगे है फैल । "डॉ. नुस्खे हॉर्स पावर किट " पावर पैक ।*🐎 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰 सभी जगह से निराश आैर हताश रोगी इनको जरुर आजमाए । यह आयुर्वेद की सबसे अनमोल खोज मानी जायेगी क्योकी इस दवां का प्रभाव अन्य दवाइयो के मुकाबले 100 गुनां अधिक है । इनके कुछ दिनो के ही सेवन से धोडे सी ताकत शरीर मे आ जाती है । गुप्त अंगो का विकास होतां है। सेक्स मे रुची बढ़ेगी । सेक्स का टाइमिंग बढेंगा । सेक्स के बाद होने वाली कमजोरी दूर होगी । जो लोग जल्दी थक जाते है वं थकान भी दूर होती है । शुक्राणु की संख्या मे वृद्धी होती है । इनके सेवन के बाद यौन सम्बंध बनाने पर आपको कभी अहसास नही हूवां एसा अहसास होगा । इनके सेवन से पुरुष वं स्ञी दोनो को संतुष्टी का अहसास होगा । जिन लोगो को सेक्स के दरम्यान उत्तेजनां मंद हो जाती है उनके लिए यह रामबाण है । यह उत्तेजनां को काफी टाइम तक बनाए रखतां है । जिनका वीर्य जल्दी निकल जातां है उनको रोके रखतां है । इस आैषधी को प्रेसेन्ट करने को लिए जीतनी तारीफ करे कम ही है क्योंकि जब आप इनको आजमायेगे नही तब तक आपको पतां नही चलेगा की यह दवां बहुत ही असरदार है । जिनके शुक्राणु मे दिक्कत है आैर बच्चा नही हो रहां वह इनका सेवन अचूक करे 100% लाभ होगा । अगर शोर्ट मे कहे तो यह आैषधी घोड़े सी ताकत देनी वाली है वं जोश का तूफान है । तैयार बना बनवायां कुरीयर द्रारा मंगवाने के लिए हमारे नम्बर पर संपर्क करे । यह आैषधी मे कुछ अनमोल आैषधी है जिसके कारन थोडी महंगी है । मूल्य 2545/1.25 Kg डॉ. नुस्खे Mobile 📱 7455896433 Whatsapp ✍️ 7455-896-433 *दोस्तो,* *जिन लोगों को ये तीन सेक्स समस्यायें हों,* *1 - लिंग का , छोटा ,पतला होना या टेढ़ा होना ।* *2 - हस्तमैथुन की वजह से लिंग का आकार छोटा रह जाना ।* *3 - सेक्स करते वक्त, लिंग में कड़ापन ना आना, या फिर कड़ापन आते ही तुरन्त ढीला हो जाना तथा ,,* *शीघ्रपतन की बीमारी होना ।* *यदि उपर्युक्त तीनो समस्यायें आपको हैं, तो तुरंत 7455896433 पर व्हॉट्सऐप पर सम्पर्क करें,* और प्राप्त करें *डॉ. नुस्खे हॉर्स पावर किट* अब घर बैठे मंगवाए ####💪 ***डॉ. नुस्खे हॉर्स पावर किट *** #### ऑर्डर करने के लिए लिंक पर क्लिक करें 👉 बेड पर सफलता के लिए शादी शुदा इस डॉ नुस्खे हॉर्स 🐴 पावर किट को ज़रूर 📱उपयोग करें 👉 http://bit.ly/2WUmQeE या Whatsapp 74558-96433 करें *बगैर किसी साइड-इफ़ेक्ट के,*फ़ायदा पाकर आपकी ज़िन्दगी ख़ुशहाल बनायें ।* 🌿🌿🌿🌿 💢💢💢💢💢💢💢

Sudhir Kumar

*एक नास्तिक की भक्ति* हरिराम एक मेडिकल स्टोर का मालिक था। सारी दवाइयों की उसे अच्छी जानकारी थी, दस साल का अनुभव होने के कारण उसे अच्छी तरह पता था कि कौन सी दवाई 💊कहाँ रखी है। वह इस व्यवसाय को बड़ी सावधानी और बहुत ही निष्ठा से करता था। दिन भर उसकी दुकान में भीड़ लगी रहती थी, वह ग्राहकों को वांछित दवाइयों💊 को सावधानी और समझदारी से देता था। परन्तु उसे भगवान पर कोई भरोसा नहीं था । वह एक नास्तिक था,उसका मानना था की प्राणी मात्र की सेवा करना ही सबसे बड़ी पूजा है। और वह जरूरतमंद लोगों को दवा निशुल्क भी दे दिया करता था। और समय मिलने पर वह मनोरंजन हेतु अपने दोस्तों के संग दुकान में लूडो खेलता था। एक दिन अचानक बारिश🌧 होने लगी,बारिश की वजह से दुकान में भी कोई नहीं था। बस फिर क्या, दोस्तों को बुला लिया और सब दोस्त मिलकर लूडो खेलने लगे। तभी एक छोटा लड़का उसके दूकान में दवाई लेने पर्चा लेकर आया। उसका पूरा शरीर भींगा था। हरिराम लूडो खेलने में इतना मशगूल था कि बारिश में आए हुए उस लड़के पर उसकी नजर नहीं पड़ी। ठंड़ से ठिठुरते हुए उस बच्चे ने दवाई का पर्चा बढ़ाते हुए कहा- "साहब जी मुझे ये दवाइयाँ चाहिए, मेरी माँ बहुत बीमार है, उनको बचा लीजिए। बाहर और सब दुकानें बारिश की वजह से बंद है। आपके दुकान को देखकर मुझे विश्वास हो गया कि अब मेरी मां बच जाएगी। उस लड़के की पुकार सुनकर लूडो खेलते-खेलते ही हरिराम ने दवाई के उस पर्चे को हाथ में लिया और दवाई देने को उठा, लूडो के खेल में व्यवधान के कारण अनमने से दवाई देने के लिए उठा ही था की बिजली चली गयी। अपने अनुभव से अंधेरे में ही दवाई की शीशी को झट से निकाल कर उसने लड़के को दे दिया। दवा के पैसे दे कर लड़का👨 खुशी-खुशी दवाई की शीशी लेकर चला गया। अंधेरा होने के कारण खेल बन्द हो गया और दोस्त भी चले गऐ। अब वह दूकान को जल्दी बंद करने की सोच रहा था। तभी लाइट आ गई और वह यह देखकर दंग रह गया कि उसने दवाई समझकर उस लड़के को दिया था, वह चूहे मारने वाली जहरीली दवा की शीशी थी। जिसे उसके किसी ग्राहक ने थोड़ी ही देर पहले लौटाया था और लूडो खेलने की धुन में उसने अन्य दवाइयों के बीच यह सोच कर रख दिया था कि खेल समाप्त करने के बाद फिर उसे अपनी जगह वापस रख देगा !! उसका दिल 💓जोर-जोर से धड़कने लगा। उसकी दस साल की विश्वसनीयता पर मानो जैसे ग्रहण लग गया। उस लड़के बारे में वह सोच कर तड़पने लगा। यदि यह दवाई उसने अपनी बीमार माँ को पिला दी, तो वह अवश्य मर जाएगी। लड़का भी छोटा होने के कारण उस दवाई को तो पढ़ना भी नहीं जानता होगा। एक पल वह अपने लूडो खेलने के शौक को कोसने लगा और दूकान में खेलने के अपने शौक को छोड़ने का निश्चय कर लिया पर यह बात तो बाद के बाद देखी जाएगी। अब उस गलत दी दवा का क्या किया जाए ? उस लड़के का पता ठिकाना भी तो वह नहीं जानता। कैसे उस बीमार माँ 👵🏻 को बचाया जाए? सच कितना विश्वास था उस लड़के की आंखों में। हरिराम👨 को कुछ सूझ नहीं रहा था। घर जाने की उसकी इच्छा अब ठंडी पड़ गई। दुविधा और बेचैनी उसे घेरे हुए था। घबराहट में वह इधर-उधर देखने लगा। पहली बार श्रद्धा से उसकी दृष्टि दीवार के उस कोने में पड़ी, जहाँ उसके पिता ने जिद्द करके श्री बांके बिहारी का छोटा सा चित्र दुकान के उदघाटन के वक्त लगा दिया था , पिता से हुई बहस में एक दिन उन्होंने हरिराम से श्री बांके बिहारी को कम से कम एक शक्ति के रूप मानने और पूजने की मिन्नत की थी। उन्होंने कहा था कि भगवान 🙏की भक्ति में बड़ी शक्ति होती है, वह हर जगह व्याप्त है और श्री बांके बिहारी जी में हर बिगडे काम को ठीक करने की शक्ति है । हरिराम को यह सारी बात याद आने लगी। उसने कई बार अपने पिता को भगवान की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर, आंखें👀 बंद करके कुछ बोलते हुऐ देखा था। उसने भी आज पहली बार दूकान के कोने में रखी उस धूल भरी श्री बांके बिहारी श्री कृष्ण की तस्वीर को देखा और आंखें बंद कर दोनों हाथों को जोड़कर🙏 वहीं खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद वह छोटा लड़का फिर दुकान में आया। हरिराम बहुत अधीर हो उठा। क्या बच्चे ने माँ को दवा समझ के जहर पिला दिया ? इसकी माँ मर तो नही गयी !! हरिराम का रोम रोम कांप उठा ।पसीना पोंछते हुए उसने संयत हो कर धीरे से कहा- क्या बात है बेटा अब तुम्हें क्या चाहिए? लड़के की आंखों से पानी छलकने लगा। उसने रुकते-रुकते कहा- बाबूजी...बाबूजी माँ को बचाने के लिए मैं दवाई की शीशी लिए भागे जा रहा था, घर के निकट पहुँच भी गया था, बारिश की वजह से ऑंगन में पानी भरा था और मैं फिसल गया। दवाई की शीशी गिर कर टूट गई। क्या आप मुझे दवाई की दूसरी शीशी दे सकते हैं बाबूजी? हरिराम हक्का बक्का रह गया। क्या ये सचमुच श्री बांके बिहारी जी का चमत्कार है ! हाँ! हाँ ! क्यों नहीं? हरिराम👨 ने चैन की साँस लेते हुए कहा। लो, यह दवाई! पर मेरे पास पैसे नहीं है।"उस लड़के ने हिचकिचाते हुए बड़े भोलेपन से क

1  
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219