अम्मा, तुम हम सबको बहुत डाँटती थी -
“नल धीरे खोलो... पानी बदला लेता है!
अन्न नाली में न जाए, नाली का कीड़ा बनोगे!
सुबह-सुबह तुलसी पर जल चढाओ,
बरगद पूजो,
पीपल पूजो,
आँवला पूजो,
मुंडेर पर चिड़िया के लिए पानी रखा कि नहीं?
हरी सब्जी के छिलके गाय के लिए अलग बाल्टी में डालो।
अरे कांच टूट गया है। उसे अलग रखना। कूड़े की बाल्टी में न डालना, कोई जानवर मुँह न मार दे।
.. ये हरे छिलके कूड़े में किसने डाले, कही भी जगह नहीं मिलेगी........
माफ़ करना माँ, तुम और तुम्हारी पीढ़ी इतनी पढ़ी नहीं थी पर तुमने धरती को स्वर्ग बनाए रखा,
और हम चार किताबे पढ़ कर स्वर्ग-नरक की तुम्हारी कल्पना पर मुस्कुराते हुए धरती को नर्क बनाने में जुटे रहे।
जिसने भी लिखा 👆
बहुत अच्छा लिखा
1- जब महिलाएं हनुमान चालीसा का पाठ करें अपने सिर को ढककर रखे। इसे भगवान की कृपा आपको मिलती है और इससे आपको पाप भी नहीं लगता इसलिए अगर आप हनुमान चालीसा का पाठ करने जा रही है तो सर को जरूर ढक ले।
2 - हनुमान चालीसा का पाठ करते समय जमीन पर ना बैठे इसके लिए किसी आसन या चटाई का इस्तेमाल करे इसकी वजह ये है कि हर घर की जमीन में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही ऊर्जा होने के चांस रहते हैं यदि आप नीचे बैठकर पुजा करते है तो घर की नेगेटिव एनर्जी आप में समाहित हो जाती है जो हनुमान चालीसा पढ़ते वक्त सही नहीं है।
3 - ज्यादातर महिलाओं के साथ ये समस्या रहती है वो घर गृहस्थी में इतना डूब जाती है कि पूजा पाठ करते वक्त भी उनका मन शांत नहीं रहता या फिर घर में किसी से झगड़ा होने पर मन में वो ही बात चलती रहती है ऐसे में जब भी हनुमान चालीसा का पाठ करे तो पूरा ध्यान हनुमान चालीसा में रखे अगर ऐसा नहीं हुआ तो आपको आपकी पूजा का कोई फल नहीं मिलेगा