इक प्रतिस्पर्धा सी है मन में ,
आंखों में भी इक कहानी है ,
जिन ख्वाबों को हम ढूंढ रहे ,
शायद वो भी किसी की निशानी है ,
जाने क्या है इन दर्दों में ऐ यारा ......
जो इनको लिखने का मन करता है ,
कुछ तो ऐसा है ही इसमें जो इनको ऐ यार मेरे ........
हरदम हमसे ही जोड़े रखता है......
मिलता है इक अहसास सुखद ,
मन भावभरा हो जाता है ........
देख के नैन ये मनोस्थिति ,
बस झट से छलक ही आते हैं ......
जो बातें थी कल को गुजरी ,
ये उनको ही सामने लातें हैं ......
ये पल पल नीर बहाते हैं ..
ये पल -पल नीर बहाते हैं .....
Sudhir Kumar Gupta