Sudhir Kumar

पवित्र श्रावण मास में शिवार्चन करते-करते दूसरा सूत्र और भी सीखने योग्य है,_ भगवान् शिव की गृहस्थी को ध्यान से देखना कि_ कितने विरोधाभासी वाहन भी बड़ी शांति से इस परिवार में रह रहे हैं__ इस पर ध्यान देना चाहिए....... माँ पार्वती का वाहन शेर है.. और शिवजी का नंदी है... शेर का भोजन है... वृषभ, लेकिन यहाँ कोई वैर नहीं है। कार्तिकेय का वाहन मोर है... और शिवजी के गले में सर्प हैं। मोर और सर्प की लड़ाई भी जगजाहिर है.... लेकिन यहाँ ये साथ ही रहते हैं.... गणेश जी का वाहन चूहा है... और चूहा सर्प का भोजन है। इस परिवार में सब शांति और सदभाव, निर्वैर बिना कलह के जीवन जीते हैं। देश काल, अलग जन्म, अलग जीवन ,अलग विचार, अलग उद्देश्य होने के कारण सम्भव है। मतभेद हो जाएँ.. कोई बात नहीं मनभेद नहीं होना चाहिए। सबकी स्वतंत्र चेतना का सम्मान करते हुए सबको आदर देने से हमारा घर भी शिवालय बन सकता है। ‼ आज का विचार‼ जीवन बहुत छोटा है, उसे जियो. प्रेम दुर्लभ है, उसे पकड़ कर रखें. क्रोध बहुत खराब है, उसे दबा कर रखें, भय बहुत भयानक है, उसका सामना करें. स्मृतियां बहुत ही सुखद हैं, उन्हें संजो कर रखें.....

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Sudhir Kumar

#साईं_के_ये_11_वचन_करते_हैं #हर_समस्या_का_समाधान🙏🙏🙏 कहते हैं कि जीवन में किसी भी तरह की समस्या हो या कोई मनोकामना हो, साईं बाबा के ग्यारह वचनों के पाठ से होगी हर परेशानी दूर और मिलेगा मनचाहा वरदान अपने भक्तों का सम्मान हैं साईं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सचमुच कौन हैं साईं. कभी सोचा है क्यों लगातार बढ़ती जा रही है इनके भक्तों की कतार. ऐसा क्या है साईं में कि जो भी शिरडी जाता है, साईं का ही होकर रह जाता है. आखिर क्या है साईं नाम की महिमा. आइए जानते हैं साईं बाबा और उनके वचनों की महिमा... साईं बाबा और उनकी महिमा: - साईं बाबा को एक चमत्कारी पुरुष, अवतार और भगवान का स्वरुप माना जाता है. - इनको भक्ति परंपरा का प्रतीक माना जाता है. - साईं बाबा का जन्म और उनसे जुड़ी दूसरी चीजें अभी अज्ञात हैं. - इनका मूल स्थान महाराष्ट्र का शिरडी है, जहां पर भक्त इनके स्थान के दर्शन के लिए जाते हैं. - साईं को हर धर्म में मान्यता प्राप्त है, हर धर्म के मानने वाले साईं में आस्था रखते हैं. - साईं की उपासना बृहस्पतिवार के दिन विशेष रूप से की जाती है. - मुख्यतौर पर तीन रूपों में की जाती है साईं की उपासना. - चमत्कारी पुरुष के रूप में, भगवान के रूप में और गुरु के रूप में. - गुरु के रूप में इनकी पूजा उपासना सबसे उत्तम होती है. साईं बाबा का जीवन दर्शन और उपदेश: - साईं बाबा ने आमतौर पर कोई पूजा पद्धति या जीवन दर्शन नहीं दिया. - एक ही ईश्वर और श्रद्धा-सबुरी पर ही उनका विशेष जोर रहा है. - लेकिन उनके ग्यारह वचन उनके भक्तों के लिए उनका दर्शन हैं. - इन ग्यारह वचनों में जीवन की हर समस्या का समाधान छुपा हुआ है. - ये ग्यारह वचन दरअसल साईं बाबा के ग्यारह वरदान हैं. - ये वचन अपने आप में अध्यात्म की बड़ी शिक्षाएं समेटे हुए हैं. साईं बाबा के ग्यारह वचन और उनके अर्थ- पहला वचन: 'जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा.' - साईं बाबा की लीला स्थली शिरडी रही है. इसलिए साईं कहते हैं कि शिरडी आने मात्र से समस्याएं टल जाएंगी. जो लोग शिरडी नहीं जा सकते उनके लिए साईं मंदिर जाना भी पर्याप्त होगा. दूसरा वचन: 'चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर.' - साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही भक्त के दुःख दूर हो जाएंगे. साईं मंदिरों में प्रतीकात्मक समाधि के दर्शन से भी दुःख दूर हो जाते हैं, लेकिन मन में श्रद्धा भाव का होना जरूरी है. तीसरा वचन: 'त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा.' - साईं बाबा कहते हैं कि मैं भले ही शरीर में न रहूं. लेकिन जब भी मेरा भक्त मुझे पुकारेगा, मैं दौड़ के आऊंगा और हर प्रकार से अपने भक्त की सहायता करूंगा. चौथा वचन: 'मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस.' - हो सकता है मेरे न रहने पर भक्त का विश्वास कमजोर पड़ने लगे. वह अकेलापन और असहाय महसूस करने लगे. लेकिन भक्त को विश्वास रखना चाहिए कि समाधि से की गई हर प्रार्थना पूर्ण होगी. पांचवां वचन: 'मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो.' - साईं बाबा कहते हैं कि मैं केवल शरीर नहीं हूं. मैं अजर-अमर अविनाशी परमात्मा हूं, इसलिए हमेशा जीवित रहूंगा. यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है. छठवां वचन: 'मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए.' - जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से मेरी शरण में आया है. उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है. सातवां वचन: 'जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का.' - जो व्यक्ति मुझे जिस भाव से देखता है, मैं उसे वैसा ही दिखता हूं. यही नहीं जिस भाव से कामना करता है, उसी भाव से मैं उसकी कामना पूर्ण करता हूं. आठवां वचन: 'भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा.' - जो व्यक्ति पूर्ण रूप से समर्पित होगा उसके जीवन के हर भार को उठाऊंगा. और उसके हर दायित्व का निर्वहन करूंगा. नौवां वचन: 'आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर.' - जो भक्त श्रद्धा भाव से सहायता मांगेगा उसकी सहायता मैं जरूर करूंगा. दसवां वचन: 'मुझमें लीन वचन मन काया , उसका ऋण न कभी चुकाया.' - जो भक्त मन, वचन और कर्म से मुझ में लीन रहता है, मैं उसका हमेशा ऋणी रहता हूं. उस भक्त के जीवन की सारी जिम्मेदारी मेरी है. ग्यारहवां वचन: 'धन्य धन्य व भक्त अनन्य , मेरी शरण तज जिसे न अन्य.' - साईं बाबा कहते हैं कि मेरे वो भक्त धन्य हैं जो अनन्य भाव से मेरी भक्ति में लीन हैं. ऐसे ही भक्त वास्तव में भक्त हैं. kunj b patel

Sudhir Kumar

मेरी पति ने कुछ दिनों पहले घर की छत पर कुछ गमले रखवा दिए और एक छोटा सा गार्डन बना लिया। पिछले दिनों मैं छत पर गई तो ये देख कर हैरान रह गई कि कई गमलों में फूल खिल गए हैं, नींबू के पौधे में दो नींबू भी लटके हुए हैं और दो चार हरी मिर्च भी लटकी हुई नजर आई। मैंने देखा कि पिछले हफ्ते उसने बांस का जो पौधा गमले में लगाया था, उस गमले को घसीट कर दूसरे गमले के पास कर रहे थे। मैं बोली आप इस भारी गमले को क्यों घसीट रहे हो ? पतिदेव ने मुझसे कहा कि यहां ये बांस का पौधा सूख रहा है, इसे खिसका कर इस पौधे के पास कर देते हैं। मैं हंस पड़ी और कहा अरे पौधा सूख रहा है तो खाद डालो, पानी डालो। इसे खिसका कर किसी और पौधे के पास कर देने से क्या होगा? पति ने मुस्कुराते हुए कहा ये पौधा यहां अकेला है, इसलिए मुर्झा रहा है। इसे इस पौधे के पास कर देंगे तो ये फिर लहलहा उठेगा। पौधे अकेले में सूख जाते हैं, लेकिन उन्हें अगर किसी और पौधे का साथ मिल जाए तो जी उठते हैं। यह बहुत अजीब सी बात थी। एक-एक कर कई तस्वीरें आखों के आगे बनती चली गईं। मां की मौत के बाद पिताजी कैसे एक ही रात में बूढ़े, बहुत बूढ़े हो गए थे। हालांकि मां के जाने के बाद सोलह साल तक वो रहे, लेकिन सूखते हुए पौधे की तरह। मां के रहते हुए जिस पिता जी को मैंने कभी उदास नहीं देखा था, वो मां के जाने के बाद खामोश से हो गए थे। मुझे पति के विश्वास पर पूरा विश्वास हो रहा था। लग रहा था कि सचमुच पौधे अकेले में सूख जाते होंगे। बचपन में मैं एक बार बाजार से एक छोटी सी रंगीन मछली खरीद कर लाई थी और उसे शीशे के जार में पानी भर कर रख दिया था। मछली सारा दिन गुमसुम रही। मैंने उसके लिए खाना भी डाली, लेकिन वो चुपचाप इधर-उधर पानी में अनमना सा घूमती रही। सारा खाना जार की तलहटी में जाकर बैठ गया, मछली ने कुछ नहीं खाया। दो दिनों तक वो ऐसे ही रही, और एक सुबह मैंने देखा कि वो पानी की सतह पर उल्टी पड़ी थी। आज मुझे घर में पाली वो छोटी सी मछली याद आ रही थी। बचपन में किसी ने मुझे ये नहीं बताया था, अगर मालूम होता तो कम से कम दो, तीन या ढेर सारी मछलियां खरीद लाती और मेरी वो प्यारी मछली यूं तन्हा न मर जाती। बचपन में माँ से सुनी थी कि लोग मकान बनवाते थे और रौशनी के लिए कमरे में दीपक रखने के लिए दीवार में इसलिए दो मोखे बनवाते थे क्योंकि माँ का कहना था कि बेचारा अकेला मोखा गुमसुम और उदास हो जाता है। मुझे लगता है कि संसार में किसी को अकेलापन पसंद नहीं। आदमी हो या पौधा, हर किसी को किसी न किसी के साथ की जरुरत होती है। आप अपने आसपास झांकिए, अगर कहीं कोई अकेला दिखे तो उसे अपना साथ दीजिए, उसे मुरझाने से बचाइए। अगर आप अकेले हों, तो आप भी किसी का साथ लीजिए, आप खुद को भी मुरझाने से रोकिए। अकेलापन संसार में सबसे बड़ी सजा है। गमले के पौधे को तो हाथ से खींचकर एक दूसरे पौधे के पास किया जा सकता है, लेकिन आदमी को करीब लाने के लिए जरुरत होती है, रिश्तों को समझने की, सहेजने की और समेटने की। अगर मन के किसी कोने में आपको लगे कि जिंदगी का रस सूख रहा है, जीवन मुरझा रहा है तो उस पर रिश्तों के प्यार का रस डालिए। खुश रहिए और मुस्कुराइए। कोई यूं ही किसी और की गलती से आपसे दूर हो गया हो तो उसे अपने करीब लाने की कोशिश कीजिए और हो जाइए हरा-भरा..💐

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