How living entity thinks to be the #doer of #activities?
In Bhagavad Gita chapter 3 slok 27 Lord Krishna says...
prakrteh kriyamanani
gunaih karmani sarvasah
ahankara-vimudhatma
kartaham iti manyate
The bewildered spirit soul, under the influence of the three modes of material nature, thinks himself to be the doer of activities, which are in actuality carried out by nature.
“We should always engage ourself in hearing, chanting and remembering the Lord Vishnu”
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare. Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare.
संत कहते हैं कि संसार में आकर मानव, माया के देश में भ्रमित हो गया है। दुनिया के सुख एवम भोगों को इक्कठा करना और उन्हें भोगना ही एकमात्र उदेश्य रह गया है। मनुष्य शरीर के असली मकसद को हम भूल गए हैं। घर परिवार संसार में इतने उलझे हैं कि हमारा मन इसी में खुश होकर फुला-फुला घूमता और मस्त रहता है। माँ बेटे को, बहन भाई को अपना ताकत समझती है। एक भाई अपने दूसरे भाई को अपना ही भुजा / ताकत समझता है। नारि नर के अभिमान / आसरे में ही पूरा जीवन व्यतीत कर देती है –आत्म कल्याण के बारे में नहीं सोचती। संत कबीर हमें सिर्फ सांसारिक सोच तक ही सीमित न रहने की सलाह देते हुए जगत की नश्वरता का भी ख्याल करवाते हैं और प्रभु को पाने की प्रेरणा देते हैं।
वह कठिन समय की याद दिलाते हुए कहते हैं कि जब मनुष्य मर जाता है तब वही माँ अपने बच्चे के लिये पेट पकड़ कर रोती है, स्त्री रोती है, भाई रोता है लेकिन जीव को परलोक अकेले ही जाना पड़ता है। उस समय कोई साथ नहीं जाता, सिर्फ परमेश्वर ही कल्याण करता है अगर जीव अपने जीवन में सुकर्म किया है तो। नहीं तो फिर नर्क और चौरासी का चक्कर तो है ही। जीव का हीरे जैसा अनमोल मानव जीवन व्यर्थ चला जाता है। अतः इस गफलत की नींद से संत हमें जगाते हैं। कहते हैं कि जगत में रहते हुए, सब कार्य सामान्य रूप से करते हुए हमें हृदय में मालिक की भक्ति करनी है।
इधर नाते-रिश्तेदारों का हालात बयान करते हैं कि माँ की ममता सबसे ज्यादा होती है वह पुत्र वियोग में पूरी जिन्दगी रोती है, बहन कम और स्त्री तो बहुत ही कम। जीव का सामाजिक मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। दुनिया का काम पहले जैसे चलता रहता है लेकिन जीव का तो प्रभु मिलन का अवसर समाप्त हो जाता है।
🙏हरि बोल🙏
अपनी नई नवेली दुल्हन प्रिया को शादी के दूसरे दिन ही दहेज मे मिली नई चमाचमाती गाड़ी से शाम को रवि लॉन्ग ड्राइव पर लेकर निकला ! गाड़ी बहुत तेज भगा रहा था , प्रिया ने उसे ऐसा करने से मना किया तो बोला-अरे जानेमन ! मजे लेने दो आज तक दोस्तों की गाड़ी चलाई है , आज अपनी गाड़ी है सालों की तमन्ना पूरी हुई ! मैं तो खरीदने की सोच भी नही सकता था , इसीलिए तुम्हारे डैड से मांग करी थी !
प्रिया बोली :- अच्छा , म्यूजिक तो कम रहने दो ....आवाज कम करते प्रिया बोली ,तभी अचानक गाड़ी के आगे एक भिखारी आ गया , बडी मुश्किल से ब्रेक लगाते , पूरी गाड़ी घुमाते रवि ने बचाया मगर तुरंत उसको गाली देकर बोला-अबे मरेगा क्या भिखारी साले , देश को बरबाद करके रखा है तुम लोगों ने ,तब तक प्रिया गाड़ी से निकलकर उस भिखारी तक पहुंची देखा तो बेचारा अपाहिज था उससे माफी मांगते हुए और पर्स से 100रू निकालकर उसे देकर बोली-माफ करना काका वो हम बातों मे........कही चोट तो नहीं आई ? ये लीजिए हमारी शादी हुई है मिठाई खाइएगा ओर आर्शिवाद दीजिएगा ,कहकर उसे साइड में फुटपाथ पर लेजाकर बिठा दिया, भिखारी दुआएं देने लगा,गाड़ी मे वापस बैठी प्रिया से रवि बोला :- तुम जैसों की वजह से इनकी हिम्मत बढती है भिखारी को मुंह नही लगाना चाहिए,
प्रिया मुसकुराते हुए बोली - रवि , भिखारी तो मजबूर था इसीलिए भीख मांग रहा था वरना सबकुछ सही होते हुए भी लोग भीख मांगते हैं दहेज लेकर ! जानते हो खून पसीना मिला होता है गरीब लड़की के माँ - बाप का इस दहेज मे , ओर लोग.. तुमने भी तो पापा से गाड़ी मांगी थी तो कौन भिखारी हुआ ?? वो मजबूर अपाहिज या ..?? .
एक बाप अपने जिगर के टुकड़े को २० सालों तक संभालकर रखता है दूसरे को दान करता है जिसे कन्यादान "महादान" तक कहा जाता है ताकि दूसरे का परिवार चल सके उसका वंश बढे और किसी की नई गृहस्थी शुरू हो , उसपर दहेज मांगना भीख नही तो क्या है बोलो ..? कौन हुआ भिखारी वो मजबूर या तुम जैसे दूल्हे ....रवि एकदम खामोश नीची नजरें किए शर्मिंदगी से सब सुनता रहा क्योंकि....
प्रिया की बातों से पडे तमाचे ने उसे बता दिया था कि कौन है सचमुच का भिखारी......मेरा पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए शुक्रिया इस तरह का पोस्ट पढ़ने के लिए आपको अच्छा लगता हो तो इसे शेयर भी कर सकते हैं हम हमेशा कुछ ना कुछ पोस्ट लेकर ही आएंगे जो आपके दिल को छू जाएगा शुक्रिया आपका धन्यवाद दिल से....