मन मेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
होंठो की हैं थालिया, बोल फूल पाती।
रोम रोम जीभा तेरा नाम पुकारती,
आरती ओ मैया तेरी आरती,
ज्योतां वालिये माँ तेरी आरती॥
हे महालक्ष्मी हे गौरी, तू अपने आप है चोहरी,
तेरी कीमत तू ही जाने, तू बुरा भला पहचाने।
यह कहते दिन और राती, तेरी लिखीं ना जाए बातें,
कोई माने जा ना माने हम भक्त तेरे दीवाने,
तेरे पाँव सारी दुनिया पखारती॥
हे गुणवंती सतवंती, हे पत्त्वंती रसवंती,
मेरी सुनना यह विनंती, मेरी चोला रंग बसंती।
हे दुःख भंजन सुख दाती, हमें सुख देना दिन राती,
जो तेरी महिमा गाये, मुहं मांगी मुरादे पाए,
हर आँख तेरी और निहारती॥
हे महाकाल महाशक्ति, हमें देदे ऐसी भक्ति,
हे जगजननी महामाया, है तू ही धुप और छाया।
तू अमर अजर अविनाशी, तू अनमिट पूरनमाशी,
सब करके दूर अँधेरे हमें बक्शो नए सवेरे।
तू तो भक्तो की बिगड़ी संवारती॥
ज़ुल्फों को सिर्फ दाई तरफ़ मत रखा करो...!!!
तेरा बायाँ झुमका !
खुद को महफ़ुज नहीं समझता...!!!
ये दिल तेरा गुलाम हो रहा है...!!!
आशिक मेरा नाम हो रहा है....!!!
डुबा रहता हुं खयालों मे तेरे....!!!
ये हाल सुबह शाम हो रहा है...!!!
खेतों की मेड़ों पर चलते
न जानें कितनी बार हम गिरे होंगे
कई बार सांपों से सामना हुआ
डर लगता था फिर भी जाते थे
अपने घर हांफते हुए आते थे
किसान की जिन्दगी में यही है
अब कुछ तरक्की भी हो रही है
पहले अंधेरे में ही रहा करते थे
अब बिजली की सौगात मिली है
परिश्रम के हिसाब से कुछ नहीं मिलता
किसान करे भी तो क्या
जान जोखिम में डालकर
अपनी जरूरतों को टालकर
रूखी सूखी रोटी खाकर
जिन्दगी भर करता है बसर
करता है भरोसा सरकार पर
भरोसा इन्द्र देवता का
धोखा खाता है मगर
यह मानसून
अपनी मन मर्ज़ी से चलता है
जब चाहे रास्ता बदलता है
सूखे खेतों में धान के बीज
पानी को तरस रहे हैं
समाचारों में कहा जा रहा
मेघ पहाड़ों में जाकर बरस रहे हैं
अब किसान को यह भी चिंता है
बैंक का कर्ज समय पर न चुका पाया तो
बैंक का डिफॉल्टर बनता है
हमारी सरकार से अपील है
निम्न दरों पर किसान को कर्जा दे
कृषि को उद्योग का भी दर्जा दे
सम्पूर्ण फसल का सुरक्षा बीमा हो
फसल की कीमत उत्पादन लागत से
कम से कम दोगुनी हो
फसल क्रय विक्रय की निश्चित सीमा हो
किसान सम्पूर्ण देश का पालनहार है
उसे भी जिन्दगी जीने का अधिकार है
Sudhir Kumar