कुछ बँधन हमसे टूट रहे हैं ,
लगता है कुछ रूठ रहे हैं ,
सुबह शाम जो रहते थे संग में ,
आज वो भी पीछे छूट रहे हैं ,
क्या है कश्ती और क्या हैं साहिल ,
जब दरिया ही सारे सूख रहे हैं ,
कभी कभी कुछ चिंतित होकर ,
मैं मायूसी में खो सा जाता हूँ,
जिस स्थित से कल तक डरता था ,
आज उसे ख़ुद ही यारा ....
मैं बार -बार अपनाता हूँ ,
माना कि एकांत बैठकर भी,
चैन ना दिल को आयेगा ......
बड़ा कठिन है सफर ये जीवन ,
ये पल पल , मुझे ही सतायेगा ...........
लगता है कुछ रूठ रहे हैं ,
रिश्ते सारे ही छूट रहे हैं ..........
दिल शाद था के फूल खिलेंगे बहार में
मारा गया ग़रीब इसी ऐतबार में
मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता
न था मंज़ूर क़िस्मत को
न थी मर्ज़ी बहारों की
नहीं तो इस गुलिस्ताँ में
कमी थी क्या नज़ारों की
मेरी नज़रों को भी कोई
नज़ारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं...
ख़ुशी से अपनी आँखों को
मैं अश्क़ों से भिगो लेता
मेरे बदले तू हँस लेती
तेरे बदले मैं रो लेता
मुझे ऐ काश तेरा दर्द
सारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं...
मिली है चाँदनी जिनको
ये उनकी अपनी क़िस्मत है
मुझे अपने मुक़द्दर से
फ़क़त इतनी शिकायत है
मुझे टूटा हुआ कोई
सितारा मिल गया होता
नैनो के तीर चलावे है ये चपल नयन बनवारी।
राधा वल्लभ मैदान मुरारी ये गोवर्धन गिरधारी।।
आंखें इनकी कजरारी जिया पे चोंट करे ये करारी।
मोहे घायल ये कर जावे है ये चपल नयन बनवारी।।
माखन की मटकी फोड़े और बाँह मेरी को मरोड़े।
ये तो माखन खूब लुटावे है ये चपल नयन बनवारी।।
चोरी और सीनाजोरी याकी आदत बड़ी निगोरी।
नेरे जिया लूट ले जाये है ये चपलनयन बनवारी।
ये ब्रज का एक खिलौना मेरा सुंदर श्याम सलोना।
जग इनपे बलि बलि जावे है ये चपलनयन बनवारी।।
नैनों के तीर चलावे है......Radhey Radhey