Sudhir Kumar
शिक्षक :-- बच्चों , बताओ इस धरती पर प्यार की निशानी कौन सी है?? एक विद्यार्थी :-- सर , "राम सेतू" है.! शिक्षक :-- अबे ओ RSS वाले संघी , क्या पगला गया है क्या ? ताजमहल की जगह "राम-सेतू" बोल रहा है। विद्यार्थी :-- माफ करना सर , आप जैसो पर ये मानसिकता थोपी गयी है , मैं नही मानता। जिस ताजमहल को बनाने के लिये सारी प्रजा को लगान कर के नाम पर लूटा गया हो, २०००० गरीब मजदूरो के हाथ ये कहकर काट दिये गये हो कि ऐसी इमारत फिर दुबारा नहीं बननी चाहिए.! मुमताज के मरते ही ४ दिनो के भीतर शाहजहाँ ने अपनी साली मुमताज की बहन से दूसरी शादी कर ली , अरे जिसके हरम मे पहले से ५०० वैश्याए पहले से उसकी अय्यासी के लिए मौजूद है वो क्या प्यार जतायेगा.? अरे प्यार तो भगवान श्रीराम का माता जानकी के प्रति था जिसकी शक्ति, जिसके विश्वास में इतनी ताकत थी कि पत्थर भी पानी पर तैरनै लगा.! इंसान तो क्या बानर , भालू , गिलहरी तक जिसकी मदद करके खुद को धन्य समझने लगे और सेतु बना दिया उफनते समुद्र पर जिसके सहारे श्री राम लंका पहुँचे और उस महाबलशाली रावण का वध किया.! सर मेरे लिये तो "रामसेतू" ही सच्चे प्रेम की निशानी है..! बाकी आप जो माने..#sudhir ★जय श्री राम★
Sudhir Kumar
बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, किया ऐसा काम कि देखने वालों की आंखें हो गई नम By: Laxmi Narayan Dewangan Published On: Jul, 25 2019 07:10 AM परंपराओं को तोड़ते हुए बेटियों ने अपने दिवंगत पिता की अर्थी को कंधा दिया, छह बेटियों में से तीन की हो चुकी है शादी, तीन बेटियां कर रहीं हैं पढ़ाई बेमेतरा . शहर की बेटियों ने बेटा का फर्ज निभाते हुए अपने पिता को कंधा देने के साथ एक ने पिता को मुखग्नि दी। परंपराओं को तोड़ते हुए बेटियों ने अपने दिवंगत पिता की अर्थी को कंधा दिया। साथ ही कंधा ही नहीं दिया बल्कि मुखाग्नि भी दिया। समाज के रीति-रिवाजों को तोड़ते हुए अपने पिता की अंतिम इच्छा के अनुरूप् उनकी बेटी ने मुखाग्नि दी। बेटी को मुखाग्नि देते देखकर मुक्तिधाम में उपस्थित सभी लोगों की आंख नम हो गई। बेटियां दाह संस्कार होने तक मुक्तिधाम में ही रहीं। मुखाग्नि देकर पूरी की पिता अंतिम इच्छा बताना होगा कि शहर के पुरोहित मोहल्ले में रहने वाले शिक्षक मधुसुदन दास वैष्णव मंगलवार को रात 10 बजे चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी, जिनका अंतिम संस्कार बुधवार को पिकरी बांधा तालाब के पास स्थित मुक्तिधाम में किया गया। जहां पर शिक्षक की बेटी निलिमा उर्फ निशा वैष्णव ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर उनकी आखरी इच्छा पूरी की। पिता को बेटे की कमी का अहसास नहीं होने दिया दिवंगत शिक्षक मधुसुदन दास वैष्णव कि छह बेटियां है पिता ने सभी बेटियों को अच्छी शिक्षा व संस्कार दिए है। तीन बेटियों पिंकी वैष्णव, भारती वैष्णव एवं राजेवरी वैष्णव की शादी हो चुकी है। वहीं तीन बेटियां पूनम, नेहा व निलिमा उर्फ निशा वैष्णव हैं, जो अभी अध्ययन अध्यापन कर रही हैं। भाई नहीं होने पर परिवार की जवाबदेही बेटियों के कंधे पर आ गई है। पिता कि इच्छा के मुताबिक चौथे नम्बर कि बेटी निलिमा वैष्णव ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। वहीं चार बेटियों ने पिता का कंधा दिया। पूर्व मे सभी बहनें उपचार व अन्य कामकाज में अपने पिता का हाथ बटाती रही हैं। बीमार होने के बावजूद आते रहे स्कूल जानकारी के अनुसार शिक्षक मधुसुदन दास वैष्णव वर्तमान में पूर्व माध्यमिक स्कूल सिरवाबंाधा में प्रधान पाठक के रुप में पदस्थ थे। वे लगभग 5 साल से बिमार चल रहे थे और बीते 3 वर्ष से डायलिसीस पर चल रहे थे। इसके बावजूद वे निरंतर स्कूल जाते रहे और अध्यापन कराते रहे। मंगलवार को अचानक तबियत बिगडऩे पर परिजन के द्वारा चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया। जहां पर इलाज के दौरान रात 10 बजे उनका आकस्मिक निधन हो गया। निधन के समय उनकी पत्नी व उनकी बेटी निलिमा व परिजन साथ में थे। नाम के अनुरुप था उनका व्यवहार साथी शिक्षक केके तिवारी ने शिक्षक की मृत्यु पर गहरी संवेदना जताते हुए कहा कि शिक्षक मधुसुदन दास वैष्णव का व्यवहार उनके नाम के अनुरुप मधुर था। वे बहुत ही मृदुभाषी व मिलनसार व्यक्तित्व थे। शिक्षक की पहली पोस्टिंग ग्राम जांता में हुई थी। जिसके बाद परसवारा, सिरवाबांधा में शिक्षकीय कार्य किया। साथ ही कुछ दिनों तक बैजी संकुल के समन्वयक भी रहे। छह साल पहले शांता बेन ने अपनी मंा को दी थी मुखाग्नि जिला मुख्यालय में एक दशक के बाद दोबारा अवसर है, जब बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया है। आज से लगभग 6 साल पहले स्थानीय मुक्तिधाम में 60 वर्षीय शांताबेन ने अपनी मां को मुखाग्नि दी थी।
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